सफर हमारी बाबरी मस्जिद से राम मंदिर तक का

अयोध्या विवाद
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अयोध्या विवाद एक राजनीतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक,धार्मिक विवाद है जो 90 के दशक में सबसे ज्यादा उभार पर था। इस विवाद का मूल्य मुद्दा ‘राम जन्मभूमि’ और ‘बाबरी मस्जिद’ की स्थिति को लेकर है,अयोध्या विवाद भारत के हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और देश की राजनीति को एक लंबे अरसे से प्रभावित कर रहा है। विवाद इस बात को लेकर था कि क्या हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर वहां मस्जिद बनाया गया या मंदिर को मस्जिद के रूप में बदल दिया गया ।
बाबरी मस्जिद को एक राजनीतिक रैली के दौरान नष्ट कर दिया गया था जो 6 दिसंबर 1992 को एक दंगे में बदल गया था।जो संगठन राम मंदिर के निर्माण का समर्थन कर रहे थे, उन्होंने 1992 के दिसंबर में एक कारसेवा का आयोजन किया वे राम मंदिर के निर्माण में श्रमदान के लिए संगठित हुए थे, बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में भूमि शीर्षक का मामला दर्ज किया गया था,जिसका फैसला 30 दिसंबर 2010 को सुनाया गया था। फैसले में तीन न्यायाधीशों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में फैसला दिया कि अयोध्या की 2.77 एकड़ (1.1 2 हेक्टेयर) भूमि को तीन भागों में विभाजित किया जाएगा,जिसमें एक बटा तीन रामलाल या हिंदू महासभा द्वारा प्रतिनिधित्व किया जाना था, एक बटा तीन सनी सुन्नी वक्फ बोर्ड और शेष एक बटा तीन निर्मोही अखाड़ाा को दिया जाना था।
9 नवंबर 2019 को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले फैसले को हटा दिया और कहा कि भूमि सरकार के कर रिकॉर्ड के अनुसार है। इसमें हिंदू मंदिर के निर्माण के लिए भूमि को एक ट्रस्ट को सौपने का आदेश दिया। इसने सरकार को मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को वैकल्पिक 5एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया।
साथ ही पीएम ने घोषणा की कि सरकार द्वारा अधिग्रहित 67 एकड़ जमीन भी ट्रस्ट को दी जाएगी।
अयोध्या का क्या है?इतिहास:-
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मुगल शासक बाबर 1526 में भारत आया 1528 तक वह अवध वर्तमान अयोध्या तक पहुंच गया। बाबर के सेनापति मीर बाकी ने 1528 से 29 में एक मस्जिद का निर्माण कराया था और मीर बाकी ने इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा बाबरी मस्जिद उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में रामकोट पहाड़ी पर एक मस्जिद थी रामकोट पहाड़ी यानी ” राम का किला”।
उच्चतम न्यायालय के द्वारा रैली के आयोजकों द्वारा मस्जिद को कोई नुकसान नहीं पहुंचने की वचनबद्धता के बावजूद श्री राम भक्तों ने बाबरी ढांचे को गिरा दिया, 1952 में 150 हजार लोगों की एक हिंसक रैली के द्वारा दंगा में बदल जाने से यह विध्वंस हो गई। मुंबई और दिल्ली सहित कई प्रमुख भारतीय शहरों में इसके फलस्वरुप हुए दंगों में 2,000 से अधिक लोग मारे गए।
बाबरी मस्जिद उत्तर प्रदेश भारत की बड़ी मस्जिदों में से एक थी। हालांकि आसपास के जिलों में और भी अनेक पुरानी मस्जिद हैं, जिनमें शरीकी राजाओं द्वारा बनाई गई हजरत बल मस्जिद भी शामिल है, लेकिन विवादित स्थल के महत्व के कारण बाबरी मस्जिद सबसे बड़ी बन गई।अदालतों में हिंदुओं द्वारा अनेक याचिकाओं के परिणाम स्वरूप इस स्थल पर राम के हिंदू भक्तों का प्रवेश होने लगा।बाबरी मस्जिद के इतिहास मोहम्मद उस्मान अली इकराम है और इसके स्थान पर तथा किसी पहले के मंदिर को तोड़कर या उसमें बदलाव लाकर इसे बनाया गया है या नहीं इस पर चल रही राजनीतिक,ऐतिहासिक और सामाजिक धार्मिक बहस को “अयोध्या विवाद”के नाम से जाना जाता है ।
134 साल पुराने अयोध्या मंदिर- मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है ।
अयोध्या की 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए दे दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बने और इसकी योजना तैयार की जाए। चीफ जस्टिस ने मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दिए जाने का फैसला सुनाया, जो की विवादित जमीन की करीब दोगुना है। चीफ जस्टिस ने कहा कि दहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्म स्थान है और हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है।
6 अगस्त से 16 अक्टूबर तक इस मामले पर 40 दिन सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था संविधान पीठ द्वारा 9 नवंबर 2019 दिन शनिवार को 45 मिनट तक पढ़े गए 1045 पन्नों के फैसले ने देश के इतिहास के सबसे अहम और एक सदी से ज्यादा पुराने विवाद का अंत कर दिया। चीफ जस्टिस गोगोई , जस्टिस एसए बोबोडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने स्पष्ट किया कि मंदिर को अहम स्थान पर ही बनाया जाए।राम लाला के रिसीवर के पास रहेगा।

फैसले के मुख्य बिंदु :-

# रामलाल विराजमान/मंदिर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा राम जन्मभूमि स्थान न्यायिक व्यक्ति नहीं है, जबकि भगवान राम न्यायिक व्यक्ति हो सकते हैं।ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्म स्थान है, हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है। 3 महीने के भीतर ट्रस्ट का गठन कर मंदिर निर्माण की योजना बनाई जाए ।

# सुन्नी वक्फ बोर्ड अदालत ने कहा उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित जमीन पर अपना दावा साबित करने में विफल रहा। मस्जिद में इबादत में व्यवधान के बावजूद साक्ष्य यह बताते हैं कि प्रार्थना पूरी तरह कभी बंद नहीं हुई मुसलमान ने ऐसा कोई साक्ष्य पेश नहीं किया जो यह दर्शाता हो कि वह 1857 से पहले मस्जिद पर पूरा अधिकार रखते थे।

# बाबरी मस्जिद सुप्रीम कोर्ट ने कहा “मीर बकी ने बाबरी मस्जिद बनवाई। धर्मशास्त्र में प्रवेश करना अदालत के लिए उचित नहीं होगा। बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी।मस्जिद के नीचे जो ढांचा था वह इस्लामी ढांचा नहीं था।”

बाबरी विध्वंस सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एकदम स्पष्ट है कि 16वीं शताब्दी का तीन गुंबदों वाला ढांचा हिंदू कार सेवकों ने ढाहाया था जो वहां राम मंदिर बनना चाहते थे।यह ऐसी गलती थी, जिसे सुधारा जाना चाहिए था।

नई मस्जिद सुप्रीम कोर्ट ने कहा अदालत अगर उन मुसलमान के दावे को नजरअंदाज कर देती है जिन्हें मस्जिद के ढांचे से पृथक कर दिया गया तो न्याय की जीत नहीं होगी इसे कानून के हिसाब से चलने के लिए प्रतिबद्ध धर्मनिरपेक्ष देश में लागू नहीं किया जा सकता। गलती को सुधार ने के लिए केंद्र पवित्र अयोध्या की अहम जगह पर मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन दे

# “धर्म और आस्था” सुप्रीम कोर्ट ने कहा अदालत को धर्म और श्रद्धालुओं की आस्था को स्वीकार करना चाहिए। अदालत को संतुलन बनाए रखना चाहिए। प्राचीन यात्रियों द्वारा लिखी किताबें और प्राचीन ग्रंथ दर्शाते हैं कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि रही है। ऐतिहासिक उदाहरणों से संकेत मिलते हैं कि हिंदुओं की आस्था में अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि रही है।

# एoएसoआई की रिपोर्ट कहा ” मस्जिद के नीचे जो ढांचा था, वह इस्लामिक ढांचा नहीं था। ढहाए गए ढांचे के नीचे एक मंदिर था, इस तथ्य की पुष्टि आर्टियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया कर चुका है। पुरातात्विक प्रमाणों को महज एक ओपिनियन करार दे देना एएसआई का अपमान होगा। हालांकि एएसआई ने यह तथ्य स्थापित नहीं किया कि मंदिर को गिरकर मस्जिद बनाई गई।”

निर्णय के संकेत सुप्रीम कोर्ट ने कहा “सीता रसोई ,राम चबूतरा और भंडार गृह की मौजूदगी इस स्थान की धार्मिक वास्तविकता के सबूत हैं। हालांकि, आस्था और विश्वास के आधार पर मालिकाना हक तय नहीं किया जा सकता है। यह केवल विवाद के निपटारे के संकेतक।”

राम जन्मभूमि :-
हिंदुओं की मान्यता है कि श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और उनका जन्म स्थान पर एक भव्य मंदिर विराजमान था जिसे मुगल आक्रमणकारी बाबर ने तोड़कर वहां एक मस्जिद बना दी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की अनुवाई में इस स्थान को मुक्त करने एवं वहाँ नया मंदिर बनाने के लिए एक लंबा आंदोलन चला।भारतीय जनता पार्टी की कार्यकाल में 9नवम्बर सन् 2019को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला राम जन्म भूमि के हक में देकर राम मंदिर निर्माण का आदेश दिया ।इसी के साथ दशकों से चली आ रही लंबी कानूनी लड़ाई समाप्त हो गई ।
अब बारी थी निर्माण की 5 फरवरी 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को घोषणा की। ठीक 6 महीने बाद 5 अगस्त 2020को अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखी गई,जिसमें पीएम मोदी शामिल हुए।

वर्तमान में निर्माण अधीन मंदिर की देखरेख श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट द्वारा की जा रही है।मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को हुआ है ।इस शुभ अवसर पर पुरा भारत राममय हो उठा ।
मोनिका कुमारी
पत्रकार एवं समाजशास्त्री